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19 Apr 2025 · 2 min read

हे स्त्री

हे स्त्री
छली गई हो तुम आदि काल से
अपने स्वार्थ के लिए

कभी यौवना प्रेयसी बनकर
सौन्दर्य के शब्दों में ढलकर

श्रृंगार के मनमोहक शब्दों से
बसंत की बहार बनकर

लूटी जाती रही हो सदा
ऋतुराज से रति बनकर

मनोरंजन की गाथा लिख दी
मंडी में बिठा दी वैश्या बनाकर

नगर वधु का योगदान भुलाया
आम्रपाली बसंत सेना को गाया

किसी राजनीति के पद पर कठपुतली बनकर
या सत्ता के गलियारों में चांदनी बनाकर

क्षमा कीजिए कड़वा है पाठ्यक्रम का ये बाबेला
पत्नी मां बहन पुत्री का झूठा झमेला

कहां है रानी चेनम्मा, कित्तूर कहानी
कहां है राजमणि नीरा प्रीति की कुर्बानी

काकोरी का हथियार जखीरा या फांसी का बदला
कहां गया वो बेला का भाई अलबेला

क्रांति की मशालों में तुमने भी सर्वस्व लुटाया है
करके हत्या अपने सुहाग की राष्ट्र निधि को बचाया है

पति बेटा परिवार के संग अपनी आहुतियां भी दे दी
अरे राष्ट्र हेत लिखी चेतना जाति प्रथा को खुली चुनौती दी

झांसी की समाधि लिखी तो बगावत प्रीतम ने की
राज नीति में एक नहीं कई विभूतियां तेरी ही

साहित्य सजाया भक्ति को गाया
त्याग से समर्पण अमर बनाया

लेकिन सब गया बिसराया मन को उलझाया
तभी तो आज तक बलात्कार पर कानून न आया

जासूस बनी हो, हाइजैक बचाया प्राणों को भी वार दिया
लिखा गया बस इतना ही सौंदर्य को विस्तार दिया

अरे कंजका बन खुश हो जाती
कहीं सदा सुहागन बन इठलाती

फैशन की नंगी दौड़ में बन शिकार तुम ही जाती
मॉडल या बॉलीवुड की सच्चाई कहां कही जाती

तुम स्वयं बिकती हो पर बेची जाती
अपनी प्रशंसा में बंधकर खो जाती

अरे जगाओ अपनी प्रज्ञा को, शक्ति समाहित शिवा तुम्हीं हो
अरे जगाओ अंतर्मन अपने शक्ति पुंज की ज्वाला तुम ही हो

हे नारी स्वयं को जान अपनी आत्मा पहचान
अपना परिचय दे जो सिखलाता आन का मान

दो स्वयं को तुम सम्मान, इस प्रकृति की तुम हो प्राण
क्रांति ज्वालाएं अखंड तुम्हारी, प्रखर शिखर अग्नि समान

मातृ शक्ति तुम भविष्य प्रसूता, कोई क्षेत्र न तुमसे अछूता
हे स्त्री जगाओ चेतना अंतरात्मा परमात्मा की तुम भी आहूता

Language: Hindi
1 Like · 76 Views
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