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18 Apr 2025 · 1 min read

हाकिम रियाया के दिल की बात कब जानता है

हाकिम रियाया के दिल की बात कब जानता है
जब शहरों में बगावत उठती है तब जानता है

वो अजनबी होता मेरे गमों से तो राहत होती
मगर यही गम है के वो सब जानता है

दुसरे को भीगता देखकर बहुत खुश होता था वो
जब गई है सिर से छत तो अब जानता है

पिछले महीने तेरे शहर में ज़लज़ला आया था
उसके कहने का मतलब जानता है

ये सवाल मेरी शख्सियत पर हावी है
वो मुझसे क्यों पूछता है जब जानता है

मेरी तरफ़ से मुहब्बत में कोई कमी नही रही
ये बात मेरा राम मेरा रब जानता है

Language: Hindi
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