“रुकिए मत, झुकीए मत”

रुकिए मत, झुकीए मत,
निरंतर चलते रहिए,
कठिनाई हो पथ में भी तो,
आगे बढ़ते रहिए।।
तूफ़ा आए पग में तो भी,
चट्टानों सा अडिग रहिए,
पथरीला या तप्त पथ हो,
बिना रुके आगे बढ़ते रहिए।।
तड़ित गिरे या अति वृष्टि हो,
या पथ बाधित हो बाधाओं से,
हिम्मत को अपनी संग रखो,
डरो न कभी अंधियाओं से।
सूर्य सा तपकर दमको तुम,
अग्निपथ को भी सरल करो,
विश्वास अडिग, संकल्प प्रखर,
हर बाधा को विफल करो।
थक भी जाओ तो भी,
एक बार भरो सांसों को भीतर,
चट्टानों से विपदाओं को,
हौसले से ठोकर मारते रहिए।।
@विहल