शिखरिणी छन्द

मृगाक्षी दिव्यांगी सुभग तरुणी चंचल हिया।
महाकेशी यामा सरसिज कपोली मधु प्रिया।
शुकाभा सी नाशा अधर तिल धारे शशिमुखी।
गले वृत्ता शंखा, कनक मणि हारावलि सुखी।।
शेषमणि शर्मा ‘शेष’
मृगाक्षी दिव्यांगी सुभग तरुणी चंचल हिया।
महाकेशी यामा सरसिज कपोली मधु प्रिया।
शुकाभा सी नाशा अधर तिल धारे शशिमुखी।
गले वृत्ता शंखा, कनक मणि हारावलि सुखी।।
शेषमणि शर्मा ‘शेष’