धूप
धूप
डॉ. विनीत एम.सी
कड़ी चिलचिली धूप है,छूट रहे हैं स्वेद।
हर प्राणी बेचैन है , भीषण है संवेद।।
धूप
डॉ. विनीत एम.सी
कड़ी चिलचिली धूप है,छूट रहे हैं स्वेद।
हर प्राणी बेचैन है , भीषण है संवेद।।