तुम भी मेरी तरहां सोचना

तुम भी मेरी तरहां सोचना,
जिस खुशी के इंतजार में,
तुम पढ़ना चाहती हो,
जल्दी से यह मेरा खत,
मैंने भी इतनी ही शीघ्रता से,
लिखी है तुमको यह चिट्ठी,
मुझको आशा है कि,
तुम मुझको खुशी दोगी,
तुम जानना चाहती हो शीघ्रता से,
यह खत पढ़कर कि,
किस हद तक मैं,
तुमको सच्चा प्यार करता हूँ ,
क्या लिखा है इस चिट्ठी में,
तुम्हारी तारीफ में मैंने,
कि छीन रही हो तुम,
यह चिट्ठी मेरी जेब में से।
तुम भी मेरी तरहां सोचना,
मैं लिखना तो चाह रहा था,
कि मैं तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं करता,
क्योंकि तुम रोज मुझसे लड़ती हो,
मैं बता रहा हूँ तुमको भी सच्चाई,
कि मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ ,
शायद तुम चाहती हो इसका प्रमाण,
तुमको भी मालूम है कि,
मैं कितनी बार तुमसे लड़कर,
तुमसे दूर जाने की बात कह चुका हूँ ,
लेकिन क्यों दूर नहीं हो पाया तुमसे।
तुम भी मेरी तरहां सोचना,
क्योंकि मुझको तुमसे,
बहुत खुशी मिलती है,
हरवक्त मैं,
सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचता हूँ ,
और हम दोनों के लिए,
भविष्य के सपनें बुनता हूँ ,
और मांगता हूँ भगवान से यह दुहा,
कि हम कभी जुदा नहीं हो,
और क्या तुमसे कहूँ ?
तुम भी मेरी तरहां सोचना।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)