*सौभाग्य*_
सभी को सब कुछ मिल जाता है
ऐसा सभी का सौभाग्य कहां यहां
थोड़ा- थोड़ा, बहुत, कुछ- कुछ कमी
रह ही जाती सभी के जीवन में यहां।
बेटा है, बेटी न हुआ किसी को जब
बेटी है, बेटा न हुआ किसी को तब
किसी को मनोरमा, किसी को मनोहर
कितनों के जीवन में फूल न खिला यहां ।
किसी को ईद, दूज, चौदहवीं का चांद मिला
पूनम का चांद भी न मिला सभी को कहां
खुदा से फूल मांगा था हैं विनती के साथ
दामन में कांटों का हार ही मिला मुझे यहां।
धरती को सूरज से आग ही आग मिला
मानसून लेकर पानी चला गया जाने कहां
घोंसला छोड़कर चिड़ियां भी चली गई है
बेरोजगारी में बेटा भी घर छोड़ रहें हैं यहां।
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मौलिक और अप्रकाशित
@घनश्याम पोद्दार
कासिम बाजार, मुंगेर