नयन से बहता झर-झर नीर
हर पल तेरी याद सताए,
हृदय मेरा हो रहा अधीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
हमें छोड़ कर शहर गए हो,सूना मेरा मन आँगन है।
विरह की अग्नि में जलती हूँ,डसती रजनी बन नागिन है।
किसको दिल का दर्द बताएँ, जब तू न समझे मन की पीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
छोड़ गए हो हमें अकेला, जानें किसके सजन सहारे।
तुम बिन सब फीका लगता है, तनिक न भाते चाँद सितारे।
बजती पायल पैर निगोड़ी, हृदय मेरा देती है चीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
कमरे की सूनी चरपाई,देता बस अँधकार दिखाई।
तन मन छलनी हुआ हमारा, तुम बिन कौन करे तुरपाई।
सपनों में हर दिन आती है,नजर आपकी रम्य तस्वीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
हर दिन करके मीठी बातें,बस मन मेरा बहलाते हो।
आनें का वादा करते हो, लेकिन प्रिय कभी न आते हो।
आखिर तुमको प्रिय क्या कोई,बाँधे प्रेम की है जंजीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
या कोई सौतन ले आए,जो याद न मेरी आती है।
भूल गए क्या तेरी जोगन,तुझको हर रोज बुलाती है।
कुछ हफ्तों की छुट्टी लेकर,आ जाओ न प्रिय मेरे तीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
घर में सासू माँ भी तुमको,हर दिन याद बहुत करती हैं।
एक झलक पानें की खातिर, आँखें हर रोज तरसती हैं।
टूट चुके हैं पिता आपके,बिमारी है उनको गंभीर।
देखूँ जब तस्वीर आपकी,
नयन से बहता झर-झर नीर।।
स्वरचित रचना – राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)