एक सितारा
खाली नहीं रही बाहें मेरी,
उस अनंत आकाश में
एक सितारा मेरा भी था,
निशा से भरे रास्तों में,
जो मेरे लिए उजास लिए था,
जिसे देख आंखों में चमक,
और मन में भरोसा पलता था,
जो हृदय के पूर्व से उगकर,
स्मृति के पश्चिम में ढ़लता था,
एक जैसे दिखते तारों की भीड़ में,
जिसकी पहचान अनोखी थी,
जिसके भावों की रोशनी ,
मेरे निर्जीव काया के चांद को,
श्वासों से जगमगाती थी,
रश्मि मृदुलिका