“हम भारत के लोग”

हम भारत के लोग’ कितना सटीक वाक्य है, सुनकर लगता है…जैसे सारा का
सारा भारत हमारी आत्मा में समाया हुआ है,पर क्या वाकई हम अपने देश की संप्रभुता,अखंडता,धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र प्राणी के सच्चे हृदय से मनन करते हुए देश की सामाजिक समानता न्याय की भावना को समझ कर उस रास्ते पर चलने का प्रयास करते हैं,या फिर डिजिटल क्रांति में लोगों को साथ मिलकर भ्रामक सूचनाओं, झूठी अफ़वाहों और घृणा फैलाने में उन लोगों का साथ निभाते हैं।
क्या हम गलत को गलत कह पाते हैं या सोशल मीडिया पर टोलिंग, फ़ेक न्यूज को बढ़ चढ़ आगे बढ़ावा देते चले जाते हैं और अपने देश का नुकसान करते रहते हैं।
ऐसा नहीं है कि भारत में अच्छे लोगों की कमी है आज भी हम भारत के लोग अपने देश पर मर मिटने का जज्बा रखते हैं।
पर बहुत सारी गलत अवधारणाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम भारतीय ‘भारत शब्द को’ कितना अंदर तक समझते हैं उसकी आत्मा को पहचानते हैं…..!!
मधु गुप्ता “अपराजिता”