हारे का तू सहारा बाबा- रचनाकार अरविंद भारद्वाज

हारे का तू सहारा बाबा
हारे के सहारे बता दे, कब तू सहारा लगावैगा
तीन बाण के धारी बता दे, बाण तू कब यो चलावैगा
पाप बढ़ रह्या धरती पै, कब तक देखे जावैगा
इतना बता दे बाण के साथी, बाबा तू कब आवैगा
गौ माता फिरै मारी मारी, माँ बाप की अब ना कदर रही
रिश्ते होंगे तार तार, पहले आली बात नहीं
झूठ बोलणिए बाबा हमने, तरक्की करते देखे यही
सच बोलणिए बाबा हमने, भूखे मरते देखे यही
लोग घणे बेघर होरे सै, कब तू उन्नै बसावैगा
इतना बता दे बाण के साथी, बाबा तू कब आवैगा
नोट की खातिर वोट बिकै, खादी का भी ईमान नहीं
लड़की और रोबोट मैं देखो, बाबा ईब पहचान नहीं
बाप रात दिन मेहनत करता, बेटे कै एहसान नहीं
असली और नकली मैं देखो, ईब कोई पहचान नहीं
प्यार प्रेम सब खत्म हुए, बाबा कब वापिस ल्यावैगा
इतना बता दे बाण के साथी, बाबा तू कब आवैगा
मक्कारी रग-रग में बस रह्यी, झूठ कपट बेमानी यहाँ
सासु गेल्या ब्याह कर ले जा, शर्म नहीं हैरानी यहाँ
खूनी दरिंदे खुल्ये घूमै, लोग बड़े अभिमानी यहाँ
धर्म-जात पै लड़ते देखे, बड़े-बड़े वो ज्ञानी यहाँ
बेटी नै बेटा आले सब, हक कब उनके दिलावैगा
इतना बता दे बाण के साथी, बाबा तू कब आवैगा
नशा फैल ग्या घर-घर देखो, कब तू इसने मिटावैगा
फूहड़पन फैल्या सै जग मैं, इसने कौन हटावेगा
ढोंगी घूमै भेष बदल कै, पहचान या कौन करावैगा
श्याम जगत में आकै तू ही, सबकी आस जगावैगा
तीर चला कै बाबा तू ही, यो अंधकार मिटावैगा
इतना बता दे बाण के साथी, बाबा तू कब आवैगा
© अरविंद भारद्वाज