हम हार जाते हैं… कभी वक्त के आगे, कभी इश्क के पीछे। हमें ह

हम हार जाते हैं… कभी वक्त के आगे, कभी इश्क के पीछे। हमें हारना पसन्द नहीं पर हार जाते हैं। टूटना तक पसन्द नहीं पर बिखरना हो जाता है। वक्त पर हमारा जोर नहीं रहता पर इश्क में हम खुद चुनते हैं, हमारी हार।
बिखरकर भी जिसकी हँसी याद करते हैं और दर्द में भी, गीली आँखे हँस पड़ती हैं। उस एक की मुस्कुराहट पर मरने का दिल करता है, पर दूर जाने की आहट भी रूला देती है। हम हार जाते हैं, उसकी खुशी की खातिर अपने आँसुओं को आँखो के बीच ही थम जाने देते हैं, उसके लिये।
उसके लिये जिसे हमारी परवाह न थी, जिसे खुशी थी, उसकी जीत से ज्यादा, हमारी हार की। वही जिसके लिये दिल ने कहा था… अब जो भी है, बस यही है। ❤️
‘सोच’