मन हरण घनाक्षरी पानी बचाओ
छंद प्रेमी साथियो,
मन हरण घनाक्षरी 8,8,8,7 अंत गुरु का प्रचलन अधिक है,पर महाकवि पद्माकर, ओम प्रकाश आदित्य और अन्य अनेक कवियों ने इसे 16/15 के विधान में भी लिखा है। अतः दोनों प्रकार
एक ही छंद में प्रस्तुत कर रहा हूॅं।
विधान के साथ हास्य रस आनंद लें। शुभम मंगलम्
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पानी बचाओ अभियान
मन हरण घनाक्षरी छंद
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ऋषि मुनि संत ग्रंथ,बार बार कह रहे,
पानी को बचाओ सभी,पानी को बचाओ जी।
जल ही जीवन है ये, अनमोल रत्न मानों ,
रत्न पहचानो इसे, व्यर्थ न बहाओ जी।
पानी को बचाने वाला, राष्ट्रव्यापी अभियान,
सभी मिलकर आज, सफल बनाओ जी।
पानी को बचाने हेतु, नहाना जरूरी नहीं,
कौन कहता है आप, रोज ही नहाओ जी।
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ऋषि मुनि संत ग्रंथ बार बार कह रहे,
पानी को बचाओ सभी पानी को बचाओ जी।
जल ही जीवन है जीवन अनमोल रत्न,
रत्न पहचानो इसे व्यर्थ न बहाओ जी।
पानी को बचाने वाला राष्ट्रव्यापी अभियान,
सभी मिलकर आज सफल बनाओ जी।
एक तू है बीस दिन से मेरे पीछे पड़ी है,
रोज रोज कहती नहाओ जी नहाओ जी।
गुरु सक्सेना