प्यार
जीवन रूपी किताब का प्यार नामक अध्याय
यह जीवन इक ग्रंथ है,लिखता प्रिय अध्याय.
मधुर शब्द शिव भाव हो,इसका मधु अभिप्राय..
बार-बार मन कर रहा,चले लेखनी रोज.
प्रीतियुक्त अध्याय हो,रसमय स्नेह सरोज..
नाम प्यार अध्याय का ,बचपन से ही मेल.
इसके अंदर बैठ कर,करें शारदा खेल..
प्रेम जाल अध्याय की, अति मोहक शुरुआत.
चले लेखनी अनवरत,लिखे प्यार की बात..
अन्तहीन अध्याय यह,हर घटना में प्यार.
कभी मिला यह मित्र से, कभी दिया संसार..
विद्यार्थी जीवन सुखद,गुरु से पाया प्यार.
शिक्षक बन देता रहा,शिष्यगणों को धार..
नहिं समाप्त अध्याय यह,अति सम्मानित रूप.
इसको पढ़ कर मस्त सब,मौन खड़ा है भूप..
लिखता जब अध्याय यह,देव लोक साकार.
ब्रह्म हमेशा खुश दिखें,देख मृदुल आकार..
स्तुत्य दिव्य मोहक सृजन,प्रीति वचन अध्याय.
पुष्प समर्पित कर रहीं,सकल धरा की ग़ाय..
प्यार क्षितिज अध्याय यह,सत्यनिष्ठ अनुराग.
जीवन का यह मर्म है,सिद्ध मंत्र बड़ -भाग..
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी.