साहित्य के बालम का इंतजार है,

साहित्य के बालम का इंतजार है,
तुमसे लिपटे हुए हंसी के ये बूंद बारिश में जो हैं।
मेरे खानदान का खून तेरे अम्बर के पानी में या फिर आंगन के पानी हो।
ओशो के जाहिर लीना के धुन की प्यासे कवि के माखन में लिपटे कविता के जज्बात जैसे।
प्रेम गीत की कविता कलश में प्रभावित प्रमाण हो,
मेरे लिए तो तुम साहित्य संगम से जुड़ा हुआ साहित्य कविता का एक नया अध्याय का सरल परिचय हिंदी कलश प्रभाव हो।
– बाबिया खातून