Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Apr 2025 · 1 min read

लेखक का दायित्व

हुआ क्या है आज लेखकों हर तरफ क्रुएल हसबेंड लिखा
क्यों तलाक का कलंक दिया क्यों तुमने वो उल्लेख लिखा
साहित्य समाज का दर्पण तो क्यों पश्चिम को तुम दिखलाते
डिस्को-क्लब, शादी-समझोते, वन नाइट स्टेंड को समझाते

Language: Hindi
1 Like · 38 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all

You may also like these posts

मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
तु क्यूँ मुस्कुराती है
तु क्यूँ मुस्कुराती है
ललकार भारद्वाज
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Ritu Asooja
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
अभिमानी  इस जीव की,
अभिमानी इस जीव की,
sushil sarna
खुशियाँ तुमसे -है
खुशियाँ तुमसे -है
शशि कांत श्रीवास्तव
नववर्ष की खुशियां
नववर्ष की खुशियां
Sudhir srivastava
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
सत्य कुमार प्रेमी
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
संविधान का निर्माता, वह था सबका ज्ञाता।
संविधान का निर्माता, वह था सबका ज्ञाता।
Sakshi Singh
आकाश
आकाश
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
cwininet
cwininet
Cwini Net
दीप में कोई ज्योति रखना
दीप में कोई ज्योति रखना
Shweta Soni
शून्य
शून्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
अकेलापन
अकेलापन
Rambali Mishra
वर्तमान में लोग success के पीछे नहीं बल्कि sex के पीछे भाग र
वर्तमान में लोग success के पीछे नहीं बल्कि sex के पीछे भाग र
Rj Anand Prajapati
" टीस " ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
कृष्णकांत गुर्जर
मूर्ख व्यक्ति अतीत में बुद्धिमान भविष्य में और साहसी ध्यानी
मूर्ख व्यक्ति अतीत में बुद्धिमान भविष्य में और साहसी ध्यानी
Ravikesh Jha
Practice compassionate self-talk
Practice compassionate self-talk
पूर्वार्थ
"हिंदी"
इंदु वर्मा
ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
ये क्या नज़ारा मैंने दिनभर देखा?
Jyoti Roshni
ये धुंध भी
ये धुंध भी
पूर्वार्थ देव
डर डर जीना बंद परिंदे..!
डर डर जीना बंद परिंदे..!
पंकज परिंदा
साहित्यिक आलेख - पुस्तक विमर्श - मैला आँचल
साहित्यिक आलेख - पुस्तक विमर्श - मैला आँचल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
बड़े-बड़े शहरों के
बड़े-बड़े शहरों के
Chitra Bisht
जिंदगी रुठ कर इस कदर कहाँ जाएगी
जिंदगी रुठ कर इस कदर कहाँ जाएगी
VINOD CHAUHAN
सुनो जरा कविता कुछ कहती है
सुनो जरा कविता कुछ कहती है
श्रीकृष्ण शुक्ल
राहों से हम भटक गए हैं
राहों से हम भटक गए हैं
Suryakant Dwivedi
4107.💐 *पूर्णिका* 💐
4107.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...