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13 Apr 2025 · 1 min read

तवायफ

हर एक मुलाकात, पैसे पर ठहर जाती है।
मानो वो मोहब्बत नहीं, बिकने के लिए आती है।

कब तक मैं समझाऊँ, उन्हें नादान समझकर।
नादान बनकर आती है, तवायफ सी बिखर जाती है।

श्याम सांवरा….

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