मां गंगा
तुम ने पतित पावनी सुरसरि भेजा धरा पर ,
जिसने सगर के पुत्रों की समस्त पाप धो दी ;
कृतघ्न नर को कहाँ ख्याल सुर सरिता का –
कर दिया है राम तेरी गंगा मैली l
सनातन की परंपरा नहीं है उपकार भूलना
तुम्हारी सीख को तेरे वंशजों ने ही है तोड़ी
भागीरथी में नित पाप और गंदगी इतने घोल रहे हैं
हो गई है अब राम तेरी गंगा मैली l
इस सनातन देश में अब सब खेल है सियासी
देव नदी को केवल जलधार कहता है कुछ पापी
धर्म और आस्था पर प्रहार हो रहा है पावन धरा पर
सियासी पाखंड का बलि बन गया अयोध्या मथुरा व काशी l