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10 Apr 2025 · 1 min read

रुका रुका सा है ये वक़्त, ठहरी ठहरी सी है शाम।

रुका रुका सा है ये वक़्त, ठहरी ठहरी सी है शाम।
भीगी हुई पलकों में सहमी हुई सी है,बीती कल की रात।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”

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