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10 Apr 2025 · 1 min read

*ਸ਼ੌਕ ਰਖਿਆ ਨੀਰ ਪੀਣ ਦਾ*

ਸ਼ੌਕ ਰਖਿਆ ਨੀਰ ਪੀਣ ਦਾ
**********************

ਸ਼ੌਕ ਰਖਿਆ ਨੀਰ ਪੀਣ ਦਾ,
ਮੌਜ·ਮਸਤੀ ਚ ਸਦਾ ਜੀਣ ਦਾ।

ਬੱਦ–ਦੁਆਵਾਂ ਮਾਰ ਦੇਂਦਿਆ,
ਹੱਕ ਨਾ ਖਾਓ ਹਾਣੀ ਹੀਣ ਦਾ।

ਖਾਓ–ਪਾਓ ਤੇ ਜੀਉ ਜਿੰਦਗੀ,
ਮੁੱਲ ਪੈਣਾ ਨੀ ਪੀਪੇ ਟੀਨ ਦਾ।

ਹੱਥਾਂ–ਪੈਰਾਂ ਦਾ ਨਾ ਕੰਮ ਕੋਈ,
ਜ਼ਮਾਨਾ ਆਇਆ ਮਸ਼ੀਨ ਦਾ।

ਧੁਰ ਤੋਂ ਹੀ ਚਲਿਆ ਆਇਆ,
ਰੌਲਾ ਜਰ ਜੋਰੁ ਤੇ ਜ਼ਮੀਨ ਦਾ।

ਜਲਵਾ ਰਹਿਣਾ ਹੈ ਮਨਸੀਰਤ,
ਸੋਹਣੀ ਮੁਟਿਆਰ ਹਸੀਨ ਦਾ।
**********************
ਸੁਖਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਮਨਸੀਰਤ
ਖੇਡੀ ਰਾਓ ਵਾਲੀ (ਕੈਥਲ)

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