“चलो तो सही दो कदम”

चलो तो सही दो कदम
चलो तो सही दो कदम बिगड़ी तकदीर बदल जाएगी।
ना बदला यहाँ कुछ तो अनुभवों की समझ तो आएगी।।
माना डगर मिलाकर चलने में थोड़ी मुश्किल तो यहाँ आएगी।
मगर जब थमोगे हाथ तो गर्माहट अपनेपन की समझ आएगी।।
जब आएगा बुरा वक्त तो जिंदगी थोड़ा ठहर कर दर्द जगाएगी।
मगर वो ठहराव ही तुम्हें तुम्हारी जिंदगी की नई राह दिखाएगी।।
सलीके से मिलना सभी से यही नरमी आगे चलकर काम आएगी।
वरना अहंकार की गर्मी सदा रिश्तों को भस्म कर जाएगी।।
नज़र को रखना संभाल कर वो ख़ुदा की बंदगी के काम आएगी।
नहीं तो बुरी नजर तुम्हारी व्यक्तित्व का सर्वनाश कर जाएगी।।
कर्मठता और सच्ची मेहनत तुम्हारी तुम्हें बुलंदियों तक पहुंचाएगी।
रहोगे जो आलस्य में तो ज़मी की खाक मुँह में आएगी।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”