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10 Apr 2025 · 1 min read

उजड़े चमन का रैन बसेरा हूं,

उजड़े चमन का रैन बसेरा हूं,
उड़ते पंछी का सहारा हूं।
मैं शाम नहीं सबेरा हूं,
बस एक अकेला …… हूं।।

@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।

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