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10 Apr 2025 · 1 min read

मधुमेह गीत

जिंदगी इतनी मीठी भी नहीं चाहिए थी,
की खून में इतनी मिठास घुल जाये।
जो अच्छी लगती थी मिठाईंया सभी,
वो रूठी प्रेमिका सी हमे सताए।

जिन मिठाइयों पर हम देते थे जान,
अब वही जान की दुश्मन बन गईं।
करेले लौकी पालक से अपनी यारी,
बिन चीनी की चाय किस्मत बन गई।

लेबल देख कर अब खाते हैं खाना,
किसमे कितना क्या मिला रखा है।
देसी नुस्खों को पढ़ पढ़ कर हमने,
घर में ही प्रयोगशाला बना रखा है।

ये क्या दे दिया कुदरत ने हमको,
की चीनी को हमसे हो गया स्नेह।
बहुत देर लगी समझने में ये की,
अब हमको तो हो गया है मधुमेह।

प्रदीप कुमार गुप्ता
०२/०३/२०२५

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