गये जगत में हम जहाँ, पहले पहुँचा भाग्य। गये जगत में हम जहाँ, पहले पहुँचा भाग्य। व्यर्थ परिश्रम सब हुआ, दुख ही रहा अकाट्य।। संजय निराला