मेरी समझ
मेरी समझ
इधर जब से मुझमें थोड़ी सी समझदारी आई है
रहते थे जो सदा मेरे पास, उन्होंने दूरी बढ़ाई है ।
बिखरने लगे रिश्ते-नाते के लोग भी जब मुझसे
मन बोला- नासमझ बने रहो इसी में भलाई है।
मेरी समझ
इधर जब से मुझमें थोड़ी सी समझदारी आई है
रहते थे जो सदा मेरे पास, उन्होंने दूरी बढ़ाई है ।
बिखरने लगे रिश्ते-नाते के लोग भी जब मुझसे
मन बोला- नासमझ बने रहो इसी में भलाई है।