राम ही श्रीराम

राम ही श्रीराम
कलियुग में श्रीराम ही, प्रज्ञा के अवतार।
मार्ग दिखाने सत्य का, साहित्यिक विस्तार।।
युग परिवर्तन के लिए, गायत्री परिवार।
बना स्वयं श्रीराम ने, जगत रचा विस्तार।
पुस्तक लिख चौंतीस सौ, बना गये इतिहास।
अमर लेखनी हो गई, पढ़ते दुर्गुण नाश।।
मानव जीवन के लिए, सतयुग का पैगाम।
सरल सहज अंदाज में, लिखा आज के राम।।
दृष्टिकोण बदलाव से, होगा युग निर्माण।
जो पढ़ता श्रीराम को,मिलते उसे प्रमाण।।
युग दृष्टा के रूप में, तपोनिष्ट श्रीराम।
लिख भविष्य संसार का, सिद्ध पुरुष सम काम।।
आज नहीं तो कल सही, मानेगा संसार।
राम अंश श्रीराम जी, लिया कल्कि अवतार।।
राजेश कौरव सुमित्र