विषय-श्री कृष्ण।
विषय-श्री कृष्ण।
शीर्षक-मनमोहन के रंग में।
विद्या-कविता।
किया मिलन का वादा,
न आया मिलन निर्मोही।
मैं मिलन की आस में;
बुनती रही सपने,
कभी प्रेममयी,कभी कोही।
मैं ही निकली पगली,
जो लगा बैठी दिल।
उसने तो की थी बस…
मुझसे हँसी दिलजोई।
मैं ही बोरा गई,
सुन सखी मोरी।
कान्हा तो है छलिया,
बनावत बतियाँ कोरी।
न जाने जग को प्रेम,
न है तनिक भी सयाना।
न जाने किस से,कब और कहाँ?
बँध जाए प्रीत की डोरी।
अपने मन की तो,
जाने वो मनमोहना।
मैंने तो मनमोहन के रंग में,
रंग ली अपनी चुनर कोरी।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78