परदेसी हूं मैं अब, बस बहाना अपना है।

परदेसी हूं मैं अब, बस बहाना अपना है।
हर मुस्कान के पीछे, छिपे दर्द का अफसाना अपना है।।
ना शिकायत अपना है, ना इकरार अपना है।
बस खुद से मिलने का, अब इंतज़ार बाकी है।।
~अभिलेश श्रीभारती~
परदेसी हूं मैं अब, बस बहाना अपना है।
हर मुस्कान के पीछे, छिपे दर्द का अफसाना अपना है।।
ना शिकायत अपना है, ना इकरार अपना है।
बस खुद से मिलने का, अब इंतज़ार बाकी है।।
~अभिलेश श्रीभारती~