चौपाला छंद:- मातु महा गौरी स्तुति

मातु महा गौरी अम्बे माता।
भाव भक्ति का है तुमको भाता।।
अष्टम दिन जब नवराता आता।
साधक तव दिव्य रूप को ध्याता।।
गौर वर्ण की हो देवी न्यारी।
भोला शंकर की हो अति प्यारी।।
वृषभ सिंह है श्री मातु सवारी।
चार भुजाएँ अस्त्र शस्त्र धारी।।
श्वेत रंग अरु श्वेत पुष्प भाता।
साधक श्रद्धा से इन्हें चढ़ाता।।
भोग नारियल है माँ को प्यारा।
समझे जाने यह जनगण सारा।।
सकल सिद्धि की हैं मातु प्रदाता।
साधक से रखतीं सुत का नाता।।
जो भी माता के द्वारे आता।
शुभता की पावन कुंजी पाता।।
ओम मातु के पग शीश झुकाता।
शब्द पुष्प का गल हार चढ़ाता।
मातु कृपा अपनी हैं बरसातीं।
उचित पंथ है निशदिन दर्शातीं।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
शिक्षक व साहित्यकार
तिलसहरी,कानपुर नगर