Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2025 · 1 min read

रामनवमी की शुभ बेला

चैत्र मास की नवमी आई,
संग सौभाग्य और सुख लाई।
अयोध्या नगरी हुई उजियारी,
राम लला की हुई सवारी।

धूप चंदन, फूलों की माला,
जय श्रीराम गूंजे आला।
जनकनंदिनी की मुस्कान सी,
छा गई खुशी हर एक द्वार सी।

दशरथ नंदन, रघुकुल तारे,
दुष्टों का संहार तुम्हारे।
धरती पर जब छाए अंधेरे,
तुम ही आए बनकर सवेरा।

राम नाम का सुमिरन करके,
हर दिल पाता चैन है भरके।
रामनवमी पर करे प्रण यह,
धर्म, प्रेम और सत्य पथ कह।

Language: Hindi
40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

नारी का सम्मान 🙏
नारी का सम्मान 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विदा पल कहूं कैसे, बिटिया आती रहना
विदा पल कहूं कैसे, बिटिया आती रहना
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शून्य सा अवशेष मैं....!
शून्य सा अवशेष मैं....!
पंकज परिंदा
मुश्किलों से भागना
मुश्किलों से भागना
Vaishaligoel
आनंद
आनंद
Rambali Mishra
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
सत्य कुमार प्रेमी
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
" प्रेम -संवाद "
DrLakshman Jha Parimal
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
आज का युद्ध, ख़ुद के ही विरुद्ध है
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
खुदा न करें कि-------
खुदा न करें कि-------
gurudeenverma198
कुछ यूं जिंदगी की मौज लिए जा रही हूं,
कुछ यूं जिंदगी की मौज लिए जा रही हूं,
Jyoti Roshni
"मिट्टी की महिमा"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
Priya princess panwar
अभिषापित प्रेम
अभिषापित प्रेम
दीपक झा रुद्रा
قیمتیں گھٹ رہی ہیں انساں کی
قیمتیں گھٹ رہی ہیں انساں کی
Dr fauzia Naseem shad
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
क्या खोकर ग़म मनाऊ, किसे पाकर नाज़ करूँ मैं,
Chandrakant Sahu
*विरोधाभास*
*विरोधाभास*
Pallavi Mishra
#विदाई_____
#विदाई_____
sheema anmol
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पर्वत को आसमान छूने के लिए
पर्वत को आसमान छूने के लिए
उमेश बैरवा
दर्द का एहसास
दर्द का एहसास
नेहा आज़ाद
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह।
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
हरी भरी थी जो शाखें दरख्त की
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्रतिभा का कितना अपमान
प्रतिभा का कितना अपमान
Acharya Shilak Ram
सुबह आंख लग गई
सुबह आंख लग गई
Ashwani Kumar Jaiswal
4712.*पूर्णिका*
4712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुझे याद करूं भी, तो कैसे करूं।
तुझे याद करूं भी, तो कैसे करूं।
Vivek saswat Shukla
#Secial_story
#Secial_story
*प्रणय प्रभात*
मैं एक आदर्श मित्र नहीं हूं, लेकिन मैंने महसूस किया है कि वा
मैं एक आदर्श मित्र नहीं हूं, लेकिन मैंने महसूस किया है कि वा
पूर्वार्थ
"इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
Neeraj kumar Soni
Loading...