इस खामोशी में हम तेरी औकात छुपाए बैठे हैं,

इस खामोशी में हम तेरी औकात छुपाए बैठे हैं,
ज़ख़्मी दिल में हम लाखों जज़्बात छुपाए बैठे हैं,
गहरे घाव दिए तूने, पर उफ़्फ तक ना कर पाए
काँप उठे थे लब फिर भी हर बात छुपाए बैठे हैं
इस खामोशी में हम तेरी औकात छुपाए बैठे हैं,
ज़ख़्मी दिल में हम लाखों जज़्बात छुपाए बैठे हैं,
गहरे घाव दिए तूने, पर उफ़्फ तक ना कर पाए
काँप उठे थे लब फिर भी हर बात छुपाए बैठे हैं