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5 Apr 2025 · 1 min read

आशा की किरण

जीवन की राह में चलते -चलते सामने कुछ
धुंधलका सा छाया था ,
उसके आगे घुप्प अंधेरा था ,

पीछे लौटना संभव नही था ,
जो छोड़ आया उसे मुड़कर देखना व्यर्थ था ,

घबराकर रुक जाना हार मानने जैसा लगा ,
परिस्थितियों से आत्मविश्वास क्षीण होने लगा ,
फिर भी कुछ साहस जुटाकर आगे बढ़ता रहा ,

इस यात्रा में कुछ अपने पराये हुए ,
कुछ अजनबी अपनों से अधिक दिल के करीब हुए ,

भावनात्मक होकर धोखे खाए संभलते देर हो चुकी थी, विवेकशून्य बनकर जो हानि होनी थी हो चुकी थी ,

सब कुछ भुलाकर एक आशा की किरण जगाए
आगे बढ़ता रहा,
एक उज्जवल भविष्य एवं असीम शान्ति की खोज में अग्रसर होता रहा ,

अस्तु इस जीवन की सार्थकता की अनुभूति हो सके ,
महाप्रयाण पर नश्वर भौतिक संसार से परे आत्मा ,
अनंत ब्रम्हाण्ड स्थित परमात्मा में विलीन हो सके।

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