Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2025 · 2 min read

कृष्ण अर्जुन संवाद

(१) कुरुक्षेत्र का दृश्य

रणभू नित गरजत रही, उठे अश्व गजधूल।
शंखनाद से गूँज उठा, सारा नभ अनुकूल॥

रथ सजे, धनुष टंकारे, रण में वीर अपार।
किन्तु खड़ा अर्जुन अधीर, मन में संशय भार॥

(२) अर्जुन का संशय

देख कुटुम्ब बधे समक्ष, काँपे कर बलहीन।
छूटे गाण्डीव हाथ से, वचन हुए मधुहीन॥

बोले केशव! किम् कर्तव्यं? जीवन का संहार?
मुझसे ना हो पायगा, स्वजन पे यह वार॥

(३) श्रीकृष्ण का उत्तर (आत्मा का उपदेश)

कायरता क्यों मोह तुझे, यह क्षण धर्म प्रचार।
शत्रु नही, कर्तव्य है, कर मन को उद्गार॥

आत्मा अजर अमर सदा, देह नश्वर जान।
कर्म करे जो धर्मवत्, वह पावे निर्वाण॥

(४) कर्मयोग का उपदेश

कर्म किये जा चुप रहो, फल की मत कर आस।
जो फल की इच्छा करे, जीवन में हो त्रास॥

निष्काम भाव से कर्म कर, छोड़ मोह-संयोग।
तज देह-भ्रम जो कर्मरत, वही सच्चा योग॥

(५) अर्जुन का गहरा मानसिक द्वंद्व

बोले पार्थ सकुचाय कर, केशव कहो उपाय।
कैसे मिटे यह मोह मन, कौन बताए राह॥

जीवन है यह सत्य या, केवल माया खेल।
जो पाया फिर खो गया, कैसा यह संजोग॥

(६) श्रीकृष्ण द्वारा माया का रहस्य

सुन अर्जुन यह जगत बस, सपना सम निश्चय।
जो इसमें लिप्त रहत, वह पावे दुख निश्चय॥

माया यह बस नेत्रजाल, इससे ना हो आस।
सत् चित आनंद वही, जो हरता संत्रास॥

(७) विराट स्वरूप का दर्शन

जब श्रीकृष्ण विराट हुए, नभ मंडल लपटाय।
सूर्य-सहस्र सम तेज से, जग सारा घबराय॥

दिखे भुजाएँ असंख्य जब, सब दिशाएँ रुद्ध।
काँपा अर्जुन भय-वशत, ह्रदय हुआ शिथिलुद्ध॥

बोला पार्थ नमन् प्रभु, रूप कठिन अपार।
शांति दो, शरण लूँ मैं, अब ना मुझमें भार॥

(८) योगों की व्याख्या

कर्म करे जो धर्मवत, साँच हृदय स्वीकार।
वह कर्मयोगी श्रेष्ठ है, पावे नित्य उद्धार॥

ज्ञान बिना सब शून्य है, माया का यह जाल।
जो आत्मज्ञान को पायगा, तज दे मोह-जंजाल॥

भक्ति बिना सब व्यर्थ है, साधन करे हजार।
जो मुझमें अनुरक्त हो, पाए मोक्ष अपार॥

(९) अर्जुन का पूर्ण आत्मसमर्पण

बोले पार्थ नमन कर, केशव तव शरण।
अब मुझमें ना संशय रहा, तजु मोह-वरण॥

अब शस्त्र उठे, रण में बढूँ, करूँ धर्म संग्राम।
तेरी कृपा से जान लिया, जीवन का परिनाम॥

✍️✍️✍️Kavi Dheerendra Panchal

2 Likes · 57 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

शमा जली महफिल सजी,
शमा जली महफिल सजी,
sushil sarna
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
Rituraj shivem verma
हर मन प्यार
हर मन प्यार
surenderpal vaidya
नाराज
नाराज
Rambali Mishra
तुम ही हो
तुम ही हो
Arvina
वो हमको देखकर मुस्कुराने लगे,
वो हमको देखकर मुस्कुराने लगे,
Jyoti Roshni
नज़्म _ आख़िर इनका क़ुसूर क्या है ?
नज़्म _ आख़िर इनका क़ुसूर क्या है ?
Neelofar Khan
आजकल तो हुई है सयानी ग़ज़ल,
आजकल तो हुई है सयानी ग़ज़ल,
पंकज परिंदा
गम के दिनों में साथ कोई भी खड़ा न था।
गम के दिनों में साथ कोई भी खड़ा न था।
सत्य कुमार प्रेमी
" इस जहां में "
Dr. Kishan tandon kranti
साथ न कुछ जाएगा
साथ न कुछ जाएगा
Sudhir srivastava
#विषय गोचरी का महत्व
#विषय गोचरी का महत्व
Radheshyam Khatik
তার চেয়ে বেশি
তার চেয়ে বেশি
Otteri Selvakumar
स्त्री
स्त्री
Dr.Pratibha Prakash
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बुर्जुर्ग सुरक्षित कैसे हों।
बुर्जुर्ग सुरक्षित कैसे हों।
manorath maharaj
जिंदगी और मौत
जिंदगी और मौत
OM PRAKASH MEENA
विधवा विरह
विधवा विरह
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
जीवन तो सुख- दुख का संसार है
जीवन तो सुख- दुख का संसार है
goutam shaw
हथेली में नहीं,
हथेली में नहीं,
Mahetaru madhukar
दोस्त तुम्हारा होना जैसे शाम ए अवध का होना है
दोस्त तुम्हारा होना जैसे शाम ए अवध का होना है
Shweta Soni
सिन्दूर संग इंसाफ करो!
सिन्दूर संग इंसाफ करो!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
Ravi Prakash
क़त्आ
क़त्आ
*प्रणय प्रभात*
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम
शेखर सिंह
मित्र की पहचान
मित्र की पहचान
पूर्वार्थ
गर्म चाय
गर्म चाय
Kanchan Khanna
"भाभी की चूड़ियाँ"
Ekta chitrangini
होली
होली
विक्रम सिंह
4884.*पूर्णिका*
4884.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...