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1 Apr 2025 · 1 min read

लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।

लहरों से उठती यादों का,कोई तो किनारा होगा ही।
साहिल मिले या आसमान,कोई तो ठिकाना होगा ही।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”

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