जब मां भारत के सड़कों पर निकलता हूं और उस पर जो हमे भयानक गड
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
सपनों में विश्वास करो, क्योंकि उन्हें पूरा करने का जो आनंद ह
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रोता है दिल, तड़पती है धड़कन
जीवन में कोई मुकाम हासिल न कर सके,
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है।
पुरुष की एक पसंदीदा स्त्री ज़रूर होती है
उत्कर्ष
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जिंदगी है तो तकलीफ तो होगी ही
ऐसी फूलों की एक दुकान उस गली मैं खोलूंगा,
यूं गौर से मुस्कुरा कर न मुझे देखा करों।
वक़्त की रफ़्तार
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }