साध्वी प्रमुखा-कनकप्रभा जी
समय जो चाहेगा वही होकर रहेगा...
खुश्क दरिया में उतर जाना है
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
प्यार का दुश्मन ये जमाना है।
उड़ जा,उड़ जा पतंग,तू ऐसे रे
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
यदि होना होगा, तो तूझे मेरा होना होगा
जीवन में दिन चार मिलें है,
उजले दिन के बाद काली रात आती है