Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2025 · 4 min read

ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगे

धार्मिक आयोजन, बर्थडे पार्टी, शादी समारोह में बजने वाले डीजे की ध्वनि से मानव शरीर प्रभावित हो रहा है। तेज आवाज में बजते म्यूजिक के कारण दिन प्रतिदिन ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है । पड़ोस में चल रहे एक धार्मिक आयोजन में बज रहा म्यूजिक सिस्टम इतनी जोर से बज रहा है कि मकान की खिड़की दरवाजे तक कम्पायमान हो रहे हैं। तेज आवाज में बजते इन म्यूजिक सिस्टम के कारण आदमी की श्रवण शक्ति ध्वनि प्रदूषण के कारण कम हो रही है वहीं दूसरी तरफ तेज कान फोड़ा आवाज मानसिक तनाव व चिंता का कारक भी बना रही है । अधिक तेज ध्वनि का प्रभाव युवा, बच्चे ,बुजुर्ग सभी के मन मस्तिष्क पर पड़ रहा है जिसके कारण मानव चिड़चिड़ा हो रहा है जिसके कारण उसे पर्याप्त नींद भी नहीं आ रही है । डीजे की तेज आवाज से निकलने वाली ध्वनि से हृदय रोग का खतरा भी बढ़ रहा है ।डीजे पर नाचते-नाचते अनेक बार स्वस्थ व्यक्ति की मौत तक हो जाती है जिसका मुख्य कारण है डीजे की तेज ध्वनि। अगर चिकित्सकों की माने तो तेज ध्वनि के कारण एक स्वस्थ मानव का पाचन तंत्र भी प्रभावित हो रहा है क्योंकि ध्वनि प्रदूषण व्यक्ति के पाचन तंत्र को भी खराब कर रहा है। म्यूजिक सिस्टम से फैल रहे ध्वनि प्रदूषण के अलावा आजकल युवाओं के द्वारा एनफील्ड मोटरसाइकिल के साइलेंसर से भी पटाखे की आवाज निकाल कर ध्वनि प्रदूषण फैलाया जा रहा है ।अनेकों बार सड़क पर चलते हुए आपके पास से एक दम से मोटरसाइकिल निकलेगी और उससे इतनी जबरदस्त पटाखे की आवाज आएगी कि आप घबरा जाएंगे जिसके कारण दुर्घटना होने की आशंका भी बनी रहती है। मंदिर मस्जिदों में सुबह-शाम बजने वाले भोपू पर अजान और आरती की ध्वनि भी तेज होती है जो ध्वनि प्रदूषण फैलाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रही है। एक स्वस्थ मानव का कान 60 डेसीबल तक की आवाज सहन कर सकता है इससे अधिक आवाज कान की सेहत के लिए खतरनाक होती है। तेज गति से निकलने वाली ध्वनि आदमी के कानों को प्रभावित करती है जिसके कारण आदमी बहरा व पागल भी हो सकता है। तेज आवाज में बजने वाले डीजे सिस्टम की आवाज 112 डेसीबल से भी अधिक होती है जो स्वस्थ व्यक्ति के लिए घातक सिद्ध हो रही है। डॉक्टरो का मानना है कि तेज आवाज कान के पर्दे को फाड़ सकती है। कान का पर्दा बहुत ही कोमल होता है जो तेज आवाज से क्षतिग्रस्त हो जाता है ।तेज गति से बजने वाले डीजे म्यूजिक सिस्टम व पटाखे की आवाज जब कान में पड़ती है तो कई देर तक कान में सीटी सी बजती है। तेज डीजे की आवाज से बच्चे और बुजुर्ग लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। तेज गति से बजते लाउडस्पीकर डीजे पर अनुच्छेद 32 के तहत सीधे ही सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही की जा सकती है वही अनुच्छेद 226 के तहत पीड़ित व्यक्ति हाईकोर्ट में भी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। रात में तेज ध्वनि के साथ लाउडस्पीकर डीजे बजाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध आईपीसी की धारा 268 के तहत मुक्तमा दर्ज करवाया जा सकता है लेकिन आपसी व्यवहार ना खराब हो इसलिए व्यक्ति मन मसोस कर इसे इग्नोर कर देता है जो उसी व्यक्ति के लिए दुखदाई सिद्ध होता है। अगर आपके पड़ोसी तेज गति में म्यूजिक सिस्टम बजाते हैं तो आप एक बार उन्हें प्यार से समझा दें कि भाई यह उचित नहीं है और फिर भी वह अपनी आदत से बाज नहीं आए तो भारतीय दंड संहिता की धारा 268 में पब्लिक न्यूसेंस के तहत मुकदमा में दर्ज करा सकते हैं।ध्वनि प्रदूषण करना एक अपराध है जिसके लिए धारा 290 के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। आजकल साइलेंट हार्ट अटैक के केस ज्यादा ही बढ़ रहे हैं जिसका मुख्य कारण ध्वनि प्रदूषण को ही माना जा रहा है। हाल ही में एक दूल्हे की घोड़ी पर बैठे हुए मौत हो गई जिसका कारण भी साइलेंट हार्ट अटैक ही हो सकता है क्योंकि बारात में बज रहे तेज डीजे की आवाज ने दुल्हे के हृदय को प्रभावित किया जिसके कारण उसकी मौत हो गई। ऐसी एक घटना इंदौर की लडकी के साथ भी हुयी। इंदौर की एक 23 वर्षीय युवती स्टेज पर तेज गति सेबज रहे म्यूजिक सिस्टम पर नाच रही थी कि वो अचानक ही नीचे गिर गई और उसकी मौत हो गई ।23 वर्ष की लड़की परिणीता विदिशा शहर में स्टेज पर एक समारोह मे नाच रही थी कि डांस करते-करते हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई।परिणीता के पिता के मुताबिक उसकी मौत के एक सप्ताह पूर्व ही उसकी चिकित्साक ने रुटीन चेकअप किया था जिसमें वह बिल्कुल स्वस्थ थी लेकिन हार्ट अटैक से उसकी नाचते हुए मौत हो गई । इन सब के पीछे एक ही कारण दिखाई दे रहा है वह तेज गति से बजते म्यूजिक सिस्टम से निकली ध्वनि जो मानव के हृदय को प्रभावित कर देती है । दिन प्रतिदिन बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि एक स्वस्थ व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण की चपेट में आकर श्रवण शक्ति की कमी, मानसिक तनाव, नींद की कमी, पाचन तंत्र की समस्या और हृदय रोग जैसी बीमारी से बच सके। अगर तेज बजने वाले डीजे सिस्टम पर शीघ्र ही रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में ध्वनि प्रदूषण का खतरा और ज्यादा बढ़ेगा जिसका खामियाजा मानव को उठाना ही पड़ेगा और आने वाली पीढ़ियां बहरेपन, अनिद्रा ,चिड़चिड़ापन, पागलपन व हृदय रोग की बीमारियां लेकर ही पैदा होंगे । डॉ राजेंद्र यादव आजाद मोबाइल 941427 1288

Tag: Article
1 Like · 44 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आज़ादी
आज़ादी
MUSKAAN YADAV
निज भाषा पर है नहीं, जिसे तनिक अभिमान।
निज भाषा पर है नहीं, जिसे तनिक अभिमान।
RAMESH SHARMA
क्यूँ जुल्फों के बादलों को लहरा के चल रही हो,
क्यूँ जुल्फों के बादलों को लहरा के चल रही हो,
Ravi Betulwala
अच्छा होगा
अच्छा होगा
Madhuyanka Raj
शामें किसी को मांगती है
शामें किसी को मांगती है
Surinder blackpen
निर्भय होकर आगे बढ़ना।
निर्भय होकर आगे बढ़ना।
Acharya Shilak Ram
इल्म कुछ ऐसा दे
इल्म कुछ ऐसा दे
Ghanshyam Poddar
नहीं मैं -गजल
नहीं मैं -गजल
Dr Mukesh 'Aseemit'
प्रेम का परिचय शादी होती, तो रुक्मणी की जगह राधा होती, सच्चे
प्रेम का परिचय शादी होती, तो रुक्मणी की जगह राधा होती, सच्चे
पूर्वार्थ देव
" गूंगापन "
Dr. Kishan tandon kranti
हट जा भाल से रेखा
हट जा भाल से रेखा
Suryakant Dwivedi
3764.💐 *पूर्णिका* 💐
3764.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
साहित्यपीडिया के सभी सम्मानित व आदरणीय लेखकों को होली की ढेर
साहित्यपीडिया के सभी सम्मानित व आदरणीय लेखकों को होली की ढेर
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
डगर जिंदगी की
डगर जिंदगी की
Monika Yadav (Rachina)
थोथा चना
थोथा चना
Dr MusafiR BaithA
शहर में आग लगी है
शहर में आग लगी है
VINOD CHAUHAN
तनातनी
तनातनी
Laxmi Narayan Gupta
अंधेर नगरी
अंधेर नगरी
Dr.VINEETH M.C
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
Meera Thakur
हृदय
हृदय
अनिल मिश्र
"माँं",क्या लिखूं?
डॉ. शिव लहरी
दोस्तों की महफिल में वो इस कदर खो गए ,
दोस्तों की महफिल में वो इस कदर खो गए ,
Yogendra Chaturwedi
पलकों में ही रह गए,
पलकों में ही रह गए,
sushil sarna
ज़िंदगी में सब कुछ करना, मग़र अपने दिमाग़ को
ज़िंदगी में सब कुछ करना, मग़र अपने दिमाग़ को
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Ready to step out of your comfort zone? The extra mile is wh
Ready to step out of your comfort zone? The extra mile is wh
पूर्वार्थ
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
*शिक्षा-संस्थाओं में शिक्षणेतर कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूम
Ravi Prakash
तमाशा
तमाशा
D.N. Jha
😢आज का सबक़😢
😢आज का सबक़😢
*प्रणय प्रभात*
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
Loading...