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30 Mar 2025 · 1 min read

जितना ये मन भावुक होगा उतना ही दुर्बल होगा।

जितना ये मन भावुक होगा उतना ही दुर्बल होगा।
उतना ही इसको दुख होगा जितना ये निश्छल होगा।

कोई नहीं किसी का जग में बात समय ने सिखलाई।
यही सभी के जीवन की है सच में कड़वी सच्चाई।
इस अनुभव का भान सभी को आज नहीं तो कल होगा।
जितना ये मन भावुक होगा उतना ही दुर्बल होगा।

रिश्ते नाते जुड़े हुए हैं बस साँसों के बंधन से।
और टूटते ही साँसे ये विस्मृत हो जाते मन से।
देख देखकर फिर हर कोई कैसे नहीं विकल होगा।
जितना ये मन भावुक होगा उतना ही दुर्बल होगा।

अपने लिए कहाँ जी पाये, हम जी भरकर ये जीवन।
एक समस्या खत्म हुई तो खड़ी दिखी दूजी उलझन।
यही सोचकर डिगे नहीं हम, कहीं छुपा तो हल होगा।
जितना ये मन भावुक होगा उतना ही दुर्बल होगा।

स्वार्थ भरा है हर इक दिल में ,नहीं रहा अब अपनापन
भाग रहे दौलत के पीछे, साफ नहीं मिलता अब मन
किसे पता है कदम -कदम पर, साथ हमारे छल होगा
जितना ये मन भावुक होगा उतना ही दुर्बल होगा

27-08-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

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