अभी समय भज ले मना(दोहे)

जितना ऊँचा उड़ सको, उतनी भरो उड़ान।
शूरवीर करते नहीं,बल पर कभी गुमान।।
निर्बल मानव को कभी,न करना परेशान।
सबके उर में हैं बसे, कृपासिन्धु भगवान।।
बूढ़ों की करते सदा,जो सेवा सम्मान।
आयु विद्या बल का उन्हें,मिलता है वरदान।।
संगत में पड़ के बुरी,करो न गन्दे काम।
बुरे काम करके कभी,अमर न होता नाम।।
कभी न उर में पालना, कोई बुरा विचार।
उर रख मंगल कामना,करो सदा उपकार।।
सुख में कभी न भूलना,गुजरा हुआ अतीत।
बीते पल को याद रख,जीवन करो व्यतीत।।
दया धर्म उर में बसा,करो भलाई कर्म।
जीवों की करना मदद,मानवता का धर्म।।
मिलता सच्चा ज्ञान है,बस प्रभु के दरबार।
भक्ति भजन नर जो करे,होता भव से पार।।
जीवनभर करता रहा,जो नर केवल पाप।
अन्त समय उसके हृदय, पलता बस सन्ताप।।
अभी समय भज ले मना, नारायण का नाम।
अन्त समय होगा सुखद, मिलेगा मुक्ति धाम।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी “राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)