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26 Mar 2025 · 1 min read

*स्वेद सिक्त कृषक*

डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त

कृषक जीवन श्रम साध्य हुआ करता है।
तपस्चर्या से जुड़ा हुआ एक विशेष विश्लेषण व्यक्ति को करना पड़ता है।
स्वेद आता है जब शरीर पर।
उसको जल तर्पण दिया करता है।
हार जाना तो नहीं उसके अधिकार में।
सबके लिए ये पैदा अन्न किया करता है।
धूप हो बरसात हो , या शीत लहर का उन्माद हो।
फ़सल की रक्षा करना ही इसका एक मात्र ध्येय रहा करता है।

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