Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2025 · 3 min read

कुंडलिया छंद: एक विवेचन ( अभिमत )

पुस्तक चर्चा

‘कुण्डलिया छंद एक विवेचन’ डाॅ बिपिन पाण्डेय जी की सद्य: प्रकाशित कृति है जिसमें इस छंद के उद्भव और विकास की यात्रा पर विस्तार से लिखा गया है।
साधारण पाठक कुण्डलिया छंद में गिरधरदास जी कवि के अतिरिक्त अन्य किसी का नाम नहीं जानते। वह भी इसलिए कि हाईस्कूल तक की पढ़ाई में कहीं न कहीं इनकी कुण्डलियाँ पढ़ीं हैं। यह एक शोधपरक कृति है जो इस छंद की ओर समीक्षकों, शोधार्थियों और महाविद्यालयीन विद्वान प्राध्यापक वर्ग का ध्यान अपनी ओर खींचती सकेगी।
प्राकृत पैंगलम छंद शास्त्र ग्रंथ की चर्चा में कवि विद्याधर, शारंगधर, जज्ज्वल,, बब्बर, हरिब्रह्म, लक्ष्मीधर का महत्त्वपूर्ण नामोल्लेख इस कृति के पृष्ठों पर है। यह वह ग्रंथ है जिसमें कुण्डलिया छंद के लक्षण सोदाहरण दिए गए हैं।
छंद की विकास यात्रा में स्वामी अग्रदास(संवत् 1595),ध्रुवदास (संवत् 1610),गिरधरदास(संवत् 1770),बाबा दीनदयाल गिरि (संवत् 1859),गंगादास(संवत् 1880)और राय देवदास ‘पूर्ण’ (संवत् 1925) का विशेष उल्लेख है। जाहिर है कि प्रारंभ से लेकर आज से 100 वर्ष पूर्व 1925 तक की यात्रा के बाद में 2025 तक के विकास को भी खँगाला गया है।
आज के दौर में इस छंद में अनेक कवि सृजनरत हैं। अनेक व्यक्तिगत और साझा संकलनों का प्रकाशन हुआ है उन सभी का विस्तार से विवरण इस कृति में दिया है। साझा संकलनों के संग्रह उल्लेख में उनमें सम्मिलित कवियों के नाम तक दिए हैं। पत्रिकाओं ‘अंडरलाइन’ व ‘सारा’ के कुंडलिया विशेषांक भी प्रकाशित हैं जिनका संपादन त्रिलोक सिंहजी ठकुरेला ने किया है। जिन साहित्यकारों ने विभिन्न साझा संकलनों का संपादन किया है उनमें इस पुस्तक के लेखक डाॅ बिपिन पाण्डेय जी के अतिरिक्त त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी, रघुविंद्र यादव जी, संयुक्त संपादक चेतन दुबेजी ‘अनिल’ व सुनीता पाण्डेय ‘सुरभि’ के नाम उल्लेखनीय हैं। इस पुस्तक को तैयार करने में इन संपादकों द्वारा संपादित पत्रिकाओं और संकलनों की सामग्री का लेखक ने उपयोग किया है। इनके अतिरिक्त एकल पुस्तक ‘काव्य गंधा’ (ठकुरेलाजी), ‘शब्द वीणा’ (तारकेश्वरी जी सुधि), ‘भावों की उर्मियाँ(शकुंतला जी अग्रवाल’ शकुन’),’ सारंग कुंडलिया ‘(प्रदीप जी सारंग) का उल्लेख लेखक ने अपने प्राक्कथन में किया है और आभार माना है।अन्य संदर्भ ग्रंथों की सूची भी अंत में दी है। स्पष्ट है कि यह कृति कठिन परिश्रम और गहन अध्यवसाय का परिणाम है।
जहाँ पुरखे कवि ध्रुवदास की कुंडलिया छंद में भक्ति के स्वरूप और गिरधरदास की कुंडलिया छंद में लोक चेतना को विस्तार दिया है वहीं इस पुस्तक में आधुनिक काल के विभिन्न कवियों की कुण्डलियों को उद्धृत करते हुए विभिन्न विषय वस्तु पर लिखे आलेख भी हैं। जैसे – ‘स्वदेशी कुंडल’ में जनजागरण और स्वदेशी आंदोलन, जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरियसी, नारी चेतना की अभिव्यक्ति, बिन पानी सब सून, बेटी है सौभाग्य, निज भाषा…. सब उन्नति को मूल, प्रकृति के सुरम्य रूप, ये तकनीकी दौर, सुंदर सब त्योहार, हास्य व्यंग्य के रूप, श्रमसाधक और किसान, नैतिकता और लोक व्यवहार, ये विषय सम्मिलित हैं। विषयवस्तु अनुसार विभिन्न कवियों की कुंडलियाँ इन आलेखों में उद्धृत हैं।ये आलेख विरासत और समकालीनता खण्ड के रूप में हैं जिससे इस छंद की विकास यात्रा को गंभीरता से समझा जा सकता है।
कुंडलिया छंद में काका हाथरसी और बाबा बैद्यनाथ झा के विशेष कार्य पर प्रथक से आलेख हैं। ऋता शेखर ‘मघु’ की कृति ‘नवरस कुंडलिया’ के विशिष्ट योगदान को भी चर्चा है। इस कृति की विशिष्टता यह है कि साहित्य में उल्लिखित नवरसों के आधार पर सृजित कुंडलियाँ इस संग्रह में हैं।
‘छंद सृजन निर्दोष’ शीर्षक से आलेख में इस छंद की सर्जना में रखी जाने वाली सावधानियों पर विस्तार से विमर्श किया है ताकि छंद शास्त्र की कसौटी पर स्तरीय सृजन किया जा सके। नवागंतुकों के लिए यह आलेख अत्यंत उपयोगी है। स्थापित कवियों द्वारा भी त्रुटियाँ होती हैं जिनके उदाहरण इस आलेख में दिए हैं।
कुण्डलिया छंद पर इससे पूर्व कोई गंभीर लेखन देखने में नहीं आया है। इस दृष्टि से यह कृति उल्लेखनीय है। इस छंद में रुचि रखने वाले पाठक इसे प्राप्त कर सकते हैं।छपाई और आवरण बढ़िया है। 200 पेज की पुस्तक का मूल्य रुपये 299/- है।
डाॅ पाण्डेय को इस श्रमसाध्य कार्य के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।
प्रकाशक-श्वेतवर्णा प्रकाशन नई दिल्ली
संपर्क – +918447540078

*कुँअर उदयसिंह ‘अनुज’

1 Like · 35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

रूप श्रंगार
रूप श्रंगार
manjula chauhan
लहरों सी होती हैं मुश्किलें यारो,
लहरों सी होती हैं मुश्किलें यारो,
Sunil Maheshwari
4172.💐 *पूर्णिका* 💐
4172.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
अंदर की बारिश
अंदर की बारिश
अरशद रसूल बदायूंनी
सम्प्रेषण
सम्प्रेषण
Khajan Singh Nain
लिमवा के पेड़ पर,
लिमवा के पेड़ पर,
TAMANNA BILASPURI
पुरानी डायरी के पन्ने
पुरानी डायरी के पन्ने
Chitra Bisht
Sensibilities
Sensibilities
Shashi Mahajan
अवधपुरी है कंचन काया
अवधपुरी है कंचन काया
महेश चन्द्र त्रिपाठी
झूठ बोल नहीं सकते हैं
झूठ बोल नहीं सकते हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
இவன்தான் மனிதன்!!!
இவன்தான் மனிதன்!!!
Otteri Selvakumar
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
पूर्वार्थ
ज़माने की नजर में बहुत
ज़माने की नजर में बहुत
शिव प्रताप लोधी
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
Faith in God
Faith in God
Poonam Sharma
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
बसंत
बसंत
Dr Archana Gupta
राजतंत्र क ठगबंधन!
राजतंत्र क ठगबंधन!
Bodhisatva kastooriya
"पैसा"
Dr. Kishan tandon kranti
खुद्दार
खुद्दार
अखिलेश 'अखिल'
प्रेम.... मन
प्रेम.... मन
Neeraj Kumar Agarwal
The Shadows
The Shadows
Veenasree Pradeepkumar
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय प्रभात*
~ छोड़ो नफरत बस प्यार करो ~
~ छोड़ो नफरत बस प्यार करो ~
Vijay kumar Pandey
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
सत्य संकल्प
सत्य संकल्प
Shaily
सच्ची मोहब्बत न सरहद को देखती है न मजहब को न ही जाति,वर्ग और
सच्ची मोहब्बत न सरहद को देखती है न मजहब को न ही जाति,वर्ग और
Rj Anand Prajapati
समुन्दर को हुआ गुरुर,
समुन्दर को हुआ गुरुर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...