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24 Mar 2025 · 1 min read

नज़र -ए- करम

नज़र -ए- करम ख़ुदा का जिस पर होता है ,
वो गर्दिश का मारा भी , फर्श से अर्श की बुलंदी को छूता है ,

जो अना के नशे में हक़ीक़त नज़रअन्दाज़ करता है ,
फ़रेब -ए-‘अक़्ल में ऐसा उलझता है ,
के लाख कोशिशों पर भी ता-‘उम्र ना उबर पाता है।

Language: Hindi
41 Views
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