मैं तो राष्ट्र प्रेमी हूँ
मैं तो राष्ट्र प्रेमी हूँ
भले नहीं सीमा पर मैं हूँ,
नहीं मैं अस्त्र-शस्त्र धारी हूँ ।
लिख कविता जोश मैं भरता ,
मैं तो एक कलमकारी हूँ।।
शब्दों के बमगोलों से मैं,
प्रेरित करता मैं जन-जन को।
मृत प्राय लोग भी कविता पढ़,
हैं हिलाते अपने तन-मन को।।
राष्ट्रभक्ति का गान सृजन कर,
लोगों में भाव जगाता हूँ,
सेना को आदर नमन हेतु
लोगों को पाठ पढ़ाता हूँ।।
भले नहीं सीमा पर मैं हूँ,
नहीं मैं अस्त्र-शस्त्र धारी हूँ ।
लिख कविता जोश मैं भरता ,
मैं तो एक कलमकारी हूँ।।
नरेंद्र सिंह, गया