नीलकंठ महादेव यात्रा

हम कुछ साथी 22 मार्च की शाम को तकरीबन 4 बजे धनौरा अमरोहा से ऋषिकेश को निकले।
चांदपुर होते हुए बिजनौर पहुंचे तो वहां हलका सा जलपान किया
फिर
चंदक के रास्ते हरिद्वार को जाना शुरू करते हैं, यात्रा बहुत सुंदर तरीके से आगे बढ़ रही है। भगवान भोलेनाथ का पूरा स्नेह मिल रहा है। हम सब साथी गाड़ी में महादेव के भजन गाते आगे बढ़ रहे हैं।
पूरा मन और हृदय आध्यात्म में सराबोर है, तभी मंडावली से पहले रेलवे क्रासिंग आती है ।
हम सभी गाड़ी से उतरकर थोड़ा बाहर घूमते हैं और रिलेक्स होते हैं, क्रासिंग खुलने पर गाड़ी फिर आगे बढती है और नांगल होते हुए नजीबाबाद हरिद्वार हाइवे पर दौड़ने लगती है।
शाम का समय है, हल्का हल्का अंधेरा होने लगा है। कुछ दूर चलने पर हरिद्वार से सात आठ किलोमीटर पहले खैरा रेस्टोरेंट आता है।
हम सभी वहां रूककर फ्रेश होते हैं और खाना आर्डर करते हैं।
पालक पनीर, दाल मखनी, आलू मटर और कढी के साथ तंदूरी रोटी ने समा बांध दिया और अचार का तो क्या ही कहना, वाह मजा आ गया।
खाना खाने के बाद हम थोड़ा लोन में घूमते हैं और फिर ऋषिकेश को चल देते हैं। थोडी देर में हरिद्वार आ जाता है, हर की पौड़ी से निकल कर ऋषिकेश को चलते हैं और तकरीबन पौना घंटा में हम ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट पर पहुंच जाते हैं। गाड़ी साइड करके उतरते हैं तो एक स्कूटी वाला रूम आफर करता है जब हम रूम
देगने गये तो पसंद नहीं आता है।
हम वापिस आ जाते हैं , अनेकों जगह रूम ट्राई किया लेकिन मिला नहीं तो एक सज्जन से जानकारी मिली की रोडवेज स्टैंड के पास जाओ वहां आसानी से मिल जायेगा। हम ऐसा ही करते हैं और वहां बहुत अच्छा रूम आसानी से मिल गया। करीब रात को साढ़े ग्यारह बजे हम लोग सोने को तैयार हैं।
सुबह पांच बजे जागकर फ्रेश होकर रूम छोड़ देते हैं और सीधा लक्ष्मण झूला घाट पर स्नान करने जाते हैं। बहुत शीतल जल है और शुतल हवा भी चल रही है, लेकिन हम खूब नहाते हैं और जल लेकर फिर नीलकंठ महादेव के दर्शन करने को निकल पड़ते हैं।
करीब एक से डेढ़ घंटे में हम नीलकंठ महादेव मंदिर पहुंच जाते हैं और गाड़ी पार्क करके प्रसाद लेकर मंदिर को जाते हैं। जलाभिषेक करके दर्शन करते हैं और कुछ फोटो लेने के बाद हनुमान मंदिर और माता पार्वती मंदिर को निकल पड़ते हैं। उक्त दोनों मंदिरों में दर्शन राभ लेकर हम नीचे आते हैं और नाश्ता करके ऋषिकेश को वापस आने लगते हैं।
लेकिन इस बार वापसी में बहुत ट्रेफिक और जाम है , हम धीरे-धीरे चल रहे हैं गंगा नदी में हो रही राफ्टिंग का भी लुत्फ उठा रहे हैं
और आखिरकार हम शाम तीन बजे चंडी घाट हरिद्वार आ जाते हैं फिर हम हर की पौड़ी पर गाड़ी पार्क करके स्नान को जाते हैं तो रास्ते में आइसक्रीम और छोले कुलचे खाते हैं और फिर खूब मस्ती के साथ स्नान करते हैं। घर के लिए जल लेकर हम करीब साढ़े पांच बजे वापस धनौरा को चल देते हैं।
रास्ते में गाड़ी को भोजन करवाकर और दो तीन जगह हल्का हल्का जलपान करके हम सभी साढ़े नौ बजे अपने घर भगवान भोलेनाथ की कृपा से सकुशल आ जाते हैं। बहुत सुंदर और उत्साहवर्धक यात्रा रही। भगवान भोलेनाथ सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें ।
हर हर महादेव 🙏