!!!! इंकलाब जिनका नारा था !!!

वो बलिदानी वीर थे,
इंकलाब जिनका नारा था।
छोड़ माया मोह को,
जिनको वतन प्यारा था।।
नमन करते उन्हें हम आज,
वो भगत सिंह , राजगुरु, सुखदेव थे।
हँसते हँसते फांसी पर झूल गए ,
नर नहीं, वो तो साक्षात् दैव थे।।
याद हमें है आठ अप्रैल उनतीस,
निडर होकर घुसे असेंबली में।
कर धमाका फिरंगियों को दहलाया,
आजादी का परचम पहरा दिल्ली में।।
तेईस मार्च इकतीस को,
हँसते हँसते फांसी पर झूल गए।
भारत माता के वो वीर सिपाही,
वतन के खातिर निज सुख भूल गए ।।
आओ अर्पित कर श्रद्धा सुमन,
सुनाए उनकी कहानी।
इंकलाब जिंदाबाद फिर गूंज उठे,
भारत की हर जुबानी ।।
—- जेपीएल