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22 Mar 2025 · 1 min read

नैसर्गिक जो भी रहे, कब खोजें सम्मान।

नैसर्गिक जो भी रहे, कब खोजें सम्मान।
निज नैनों से देख लो, उगते सूर्य महान।।

अभिधा जिनकी चाह हो, वो कब है दिनमान।
ज्ञानी रावण को लखें , हे कविवर गुणवान।।
संजय निराला

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