रेखीयगणित
स्त्री के देह के स्पर्श मात्र से
उसके मन को छू पाना!
असंभव है
यह क्रिया बार-बार पुरुष करता है
स्तन और जांघों के मध्य
तलाशता रहा अपनी सभ्यता
पुरुष होने का प्रमाण देने के लिए
उसके चेहरे पर खोजता रहा अपना इतिहास
भौंहों, मुंह के दो जीभों के क्रिया के बीच
पंचइन्द्रियों पर केशों के गहराईयों के दरमियान
उनके रेखागणित पर बनाता रहा
अमावस्या का चंद्रमा
उनके परस्पर क्रियाओं के गर्माहट से बनता रहा रेखीयकोण के ऊपर
नये समकोण की त्रिज्याएँ
अनन्त बारम्बारता के बल से फिर बनेंगी
नौ महिने बाद सम्पूर्ण टूकॉपी पृथ्वियाँ
स्त्री के मन को छू पाना अर्थात्
अभिक्रिया की आण्विकता पर खगोलीय चंद्रमा का होना!
वरुण सिंह गौतम
12 मार्च 2025