हे मेरे माधव

हे मेरे माधव
मेरी आंखों में ज्योति भी तेरी आंखों से आती है
नजर मिलती तेरी जबभी अंधेरा दूर कर जाती है
मेरा जीवन मेरी दुनिया मेरी सब आस तुझ ही से
अधूरी प्यास न बुझाती मेरी सब आस तुझ ही से
हुआ जीवन मेरा तन्हा तमन्ना कुछ न जीवन की
दिया तुझे मुझे इतना बची न आस अब मन की
न रोता हूं न हंसता हूं संभाले मन को फिरता हूं
बिलखता हूं में तेरे बिन संभलकर रोज गिरता हूं
खुशी छोटी_ से छोटी_ भी तेरे_ होने से आती है
तेरी यादें_ बसी दिल में_ नही जाने_ से जाती है
✍️ कृष्णकांत गुर्जर