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17 Mar 2025 · 1 min read

ज़िंदगी इम्तिहान कब तक दूँ

ज़िंदगी इम्तिहान कब तक दूँ
नासमझ को मचान कब तक दूँ

तेरे ही हाथ में है जब सब कुछ
मौन को फिर जुबान कब तक दूँ

हर समय मन सवाल करता है
मैं ही सपनों का दान कब तक दूँ

चाहिए कुछ सुकून मुझको भी
दूसरों पर ही ध्यान कब तक दूँ

थामकर सिर्फ़ भाग्य की डोरी
हौसलों को उड़ान कब तक दूँ

कितने पैने हैं तीर तानों के
पक्ष में मैं बयान कब तक दूँ

‘अर्चना’ कोई तो बताये अब
झूठ को आसमान कब तक दूँ

डॉ अर्चना गुप्ता
17.03.2025

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