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17 Mar 2025 · 1 min read

30) यह फागुन-चैत महीना है (राधेश्यामी छंद)*

यह फागुन-चैत महीना है (राधेश्यामी छंद)
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1)
यह सजी स्वर्ग-सी धरती है, यह फागुन-चैत महीना है।
सर्दी-गर्मी अब कब बाकी, मौसम यह भीना-भीना है।।
2)
यह मौसम है जब वन-उपवन, नवजीवन नवगति पाते हैं।
यह मौसम है जब शिशु जैसे, कोमल पत्ते मुस्काते हैं।।
3)
इस मौसम में आने वाली, हर श्वास ऊर्जा देती है।
इस मौसम में सारी थकान, बह रही हवा हर लेती है।।
4)
यह मौसम है उन्माद-भरा, नभ गीत धरा के गाता है।
यह मौसम है जब देवलोक, धरती को देख लजाता है।।
5)
यह मौसम है जब कामदेव, अंगों में यौवन भरता है।
यह मौसम है जब तन नर्तन, करने को हर मन करता है।।
6)
यह मौसम है जब चटक रंग, बिखरे चहुॅं ओर सुहाते हैं।
यह मौसम है जब इंद्रधनुष, धरती पर रंग सजाते हैं।।
7)
यह मौसम है जब बोली में, मादकता जग ही जाती है।
यह मौसम है जब गाली भी, मन में मृदु-भाव जगाती है।।
8)
यह मौसम है जब हास और, परिहास हृदय को भाता है।
यह मौसम है जब कटुता का, हर दंश स्वयं मिट जाता है।।
9)
यह मौसम है जब हृदयों का, संवाद हृदय से होता है।
यह मौसम है जब मस्ती से, धागा फूलों को पोता है।।
10)
यह शहद-भरा मौसम वसंत, जग में ऋतुराज कहाता है।
वंदन तुमको अद्भुत वसंत, वंदन कृतिकार विधाता है।।
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रचयिता: रवि प्रकाश

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